मंगलवार, 29 जनवरी 2013

मेरा लक्ष्य





                           इसी से अपने  लक्ष्य को पता  नहीं हूँ,
                           मैं सच कहने से कभी घबड़ाता नही हूँ।
                                         मेरी आदत में ही है सुमार सच व्यानी,
                                         खुशामद  के गीत  गा पाता  नही  हूँ।
                           जो  देते हैं  दूसरों के आँखों में  आँसू,
                           उनके पर कतरने में कतराता नही हूँ।
                                         देवता वर्ग के लोग हो गये है आसुरी 
                                         उनके चरण-स्पर्श को मैं जाता नही हूँ।
                           जितने उजले कपड़े उतने ही मीठे बोल,
                           उन कपट रूपी झांसे में मैं आता नहीं हूँ।
                                         खुद सीढ़ी दर  सीढ़ी चढ़ते  जायेंगे,
                                         उन बदशक्ल  डंडो पर जाता नही हूँ।
                          मेरी खातिर तो मसीहा तो नही मिलने वाला,
                          इसी से अपने लक्ष्य ........... को पता नहीं हूँ।



चलते चलते एक कतरा  याद  आ गया ...........
                                      "बन्दूक का खेल खेलने वाले ,
                                                   बन्दूक से ही जान  गवाते हैं।
                                                             पड़ोस  के घर में आग लगाने वाले,
                                                                       अपना घर भी बचा नहीं  पाते  हैं।

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18 टिप्‍पणियां:

  1. इसी से अपने लक्ष्य को

    पाता

    नहीं हूँ ।

    बहुत बढ़िया आदरणीय-

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  2. बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति

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  3. बहुत अच्छा मित्र ,, प्रथम तो राही को अपना लक्ष्य तय करनी चाहिए ..

    यार मुझे बैँकग्राउंड रंग और र्बोडर वाली कोड भेज दो
    मुझे ब्लैँक बैँकग्राउड पर सफेद अझर से पोस्ट लिखनी हैँ ओर सुनहरी पिली कलर की बोर्डर बनानी हैँ varun.sah.v.k.s@gmail.com

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  4. लक्ष्य बनाकर ही लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है,,,,
    मुझे भी बैँकग्राउंड रंग और र्बोडर वाली कोड भेज दें,,आभार,,,

    dheerusingh111@mail.com

    recent post: कैसा,यह गणतंत्र हमारा ,

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  5. जो देते हैं दूसरों के आँखों में आँसू,
    उनके पर कतरने में कतराता नही हूँ।

    ....बहुत सकारात्मक सोच...सुन्दर सार्थक अभिव्यक्ति..

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  6. बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल,पर कतराने से घबड़ाता नहीं हूँ,क्या कहना।

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  7. अतिसुन्दर भावपूर्ण ग़ज़ल,आपका धन्यबाद।

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  8. आज के किसी लक्ष्य को पाने के मार्ग में बहुत सारे रूकावटे खड़ी करने वाले है,खुशामद की दुनियां है भाई।

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  9. खुबसूरत ग़ज़ल,चापलूस बहुत ही जल्द अपनी लक्ष्य को प्राप्त कर लेते है।

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  10. लक्ष्य हीन सपनेहूँ सुख नाहिं .बढ़िया पोस्ट सार्थक चिंतन .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .

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  11. बहुत खूब ... लाजवाब गज़ल ओर अंतिम चार लाइनें सच कोरा सच ...

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  12. बहुत ही सुंदर अव सार्थक ग़ज़ल ,अतिसुन्दर।

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  13. svaabhimaan se samjhouta karke lakshy paya bhi to kya.... bilkul sahi kar rahe hain aap.

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आपकी मार्गदर्शन की आवश्यकता है,आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है, आपके कुछ शब्द रचनाकार के लिए अनमोल होते हैं,...आभार !!!