गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013

फूल





तुमने कहा था-तुम्हे फूल बहुत पसंद हैं
और इसीलिए मैं 
ढेर सरे फूलों के बीज  लेकर आया हूँ 
किन्तु 
तुम्हारे घर के पत्थरों  को देखकर 
सोचता हूँ  
इन बीजों को क्या करूं 
अच्छा होता 
मैं इन बीजों के साथ 
मुठ्ठी भर मिट्टी भी लाता 
और अँजुरी हथेली में ही 
हथेली की ऊष्मा तथा तुम्हारी आँखों की नमी से 
अँजुरी भर फूल उगाता।

 
 
हमने तो हमेशा काँटों को भी नरमी से छुआ है,
लेकिन लोग वेदर्दी हैं फूलों को भी मसल देते। 
                                                                                     (आभार डॉ रिपुसूदन जी का)

                                                                     


            
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30 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।

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  2. मिटटी डालो भूल पर, मेहनत हुई वसूल ।

    हाथों पर सरसों जमे, खिलें धूल के फूल ।

    खिलें धूल के फूल, मूल में प्यार निहित है ।

    तेरे सत्य उसूल, जगत को सर्वविदित है ।

    कहीं नजर ना लगे, लगे मस्तक पर दीठी ।

    बहुत जरुरी बीज, मिले उप्जाऊ मिटटी ।।

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    उत्तर
    1. वाह गुरूजी कमाल की है आपकी काव्य रचना.

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    2. नजर नहीं लग जाय, करो स्वारथ की छुट्टी ।
      सुआरथ हो ही जाय, बदन की अपनी मिटटी ।।

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  3. Anupam Rachna.. badhai
    meri nayi Rachna par apka swagat hai
    http://ehsaasmere.blogspot.in/2013/02/blog-post_11.html

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  4. क्या बात है राजेंदर भाई | उत्तम प्रस्तुति | बधाई

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  5. राजेंद्र भाई बेहद सुन्दर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .
    http://madan-saxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena.blogspot.in/
    http://madanmohansaxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena69.blogspot.in/

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    उत्तर
    1. आभार,ये लिंक्स को ब्लॉग कलश पर छोड़ना था,खैर सभी को शामिल कर दिए है.

      हटाएं
  7. हथेली की ऊष्मा तथा तुम्हारी आँखों की नमी से
    अँजुरी भर फूल उगाता।-----gehan anubhuti/sunder kalpna---badhai

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  8. दिल को छू लेनी वाली रचना! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  9. आबे-दीद उतर कर जर्रों में मिल गए..,
    तेरी वफ़ा के फूल इन कतरों में खिल गए.....



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  10. आभार मेरे ब्लॉग पर आने का ॥

    भावपूर्ण अभिव्यक्ति राजेन्द्र जी ....
    बधाई एवं शुभकामनायें ....

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  11. अच्छा होता
    मैं इन बीजों के साथ
    मुठ्ठी भर मिट्टी भी लाता
    और अँजुरी हथेली में ही
    हथेली की ऊष्मा तथा तुम्हारी आँखों की नमी से
    अँजुरी भर फूल उगाता।

    बहुत शानदार भावअभिव्यक्ति ,

    recent post: बसंती रंग छा गया

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  12. फूल, बीज, उष्मा, नमी.....वाह क्या कोमल कल्पना है...

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आपकी मार्गदर्शन की आवश्यकता है,आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है, आपके कुछ शब्द रचनाकार के लिए अनमोल होते हैं,...आभार !!!