सोमवार, 18 मार्च 2013

कैसी ये सरकार


  कैसी ये सरकार
  झुठ-फरेब का ही
  कर रही व्यापार
  गूंगे बहरे बने रहने में
  सोचती है भलाई
  दुश्मन देते घाव पर घाव
  न किया कभी भी
  उन पर फुँफकार
  अमन चैन को तरसती
  बेबस जनता
  हो रही भेड़ियों के शिकार
  न्याय कानून का रास्ता
  केवल गरीबों को नापता
  बाहुबली खुले घूम रहें
  खद्दर टोपी के साये में
  महंगाई हर पल बढ़ रही
  सुरसा के मुहँ की तरह
  नेता बैठे ए सी केबिन में
  बजाते हैं केवल गाल
  आम जनता जी रही
  बेबसी और लाचारी में
  मस्ती में घूम रहें
  नेता और शिकारी
  न करता कोई 
  दिल से इनका विरोध
  लूट रहे हैं लूटने दो
  आज उनका दौर है
  कल हमारा भी होगा



 
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33 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुद्नर आभार आपने अपने अंतर मन भाव को शब्दों में ढाल दिया
    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    एक शाम तो उधार दो

    आप भी मेरे ब्लाग का अनुसरण करे

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  2. आज उनका दौर है
    कल हमारा भी होगा
    पता नही वो दिन कब आएगा ...

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  3. बेहद सुन्दर राजेंदर जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. बढ़िया है आदरणीय-

    लाई-गुड़ देती बटा, मुँह में लगी हराम |
    रेवड़ियाँ कुछ पा गए, भूल गए हरिनाम |
    भूल गए हरिनाम, इसी में सारा कौसल |
    बिन बोये लें काट, चला मत खेतों में हल |
    बने निकम्मे लोग, चले हैं कोस अढ़ाई |
    गए कई युग बीत, हुई पर कहाँ भलाई ??

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  5. सार्थकता को बयाँ करती सुन्दर रचना.

    जवाब देंहटाएं
  6. आम जनता जी रही
    बेबसी और लाचारी में
    मस्ती में घूम रहें
    नेता और शिकारी
    न करता कोई
    दिल से इनका विरोध
    लूट रहे हैं लूटने दो
    आज उनका दौर है
    कल हमारा भी होगा

    सुन्दर रचना.

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सटीक कविता बेपरवाह सरकार के लिए.

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही सटीक और सार्थक कविता का सृजन निकम्मी सरकार के लिए.

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन प्रस्तुति राजेन्द्र जी,बहुत ही सटीक रचना.

    जवाब देंहटाएं
  10. कथित धर्म निरपेक्ष ,वोट सापेक्ष व्यवस्था गत ढोंग पे व्यंग्य है .

    जवाब देंहटाएं
  11. मस्ती में घूम रहें
    नेता और शिकारी
    न करता कोई
    दिल से इनका विरोध
    लूट रहे हैं लूटने दो
    आज उनका दौर है
    कल हमारा भी होगा
    य़ही सोच तो समस्या की जड़ है. हम सामूहिक अपराधीकरण की ओर बढ़ रहे हैं. सदाचारी वही रह गय़े हैं जिन्हें भ्रष्टाचार का अवसर नहीं मिला. आपने बिल्कुल सही बात कही है इस कविता में.

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  12. क्या बात है ?बहुत खूब कही है जो भी कही है

    जवाब देंहटाएं
  13. बिलकुल आएगा अपना दौर भी ...
    सुन्दर चित्रण ...

    जवाब देंहटाएं

आपकी मार्गदर्शन की आवश्यकता है,आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है, आपके कुछ शब्द रचनाकार के लिए अनमोल होते हैं,...आभार !!!